Hindi gazal
कौन सीरत पे ध्यान देता है
आईना जब बयान देता है
मेरा किरदार इस ज़माने में
बारहा इम्तिहान देता है
पंख अपनी ज़गह पे वाजिब है
हौसला भी उड़ान देता है
जितने मगरूर हुए जाते हैं
मौला उतनी ढलान देता है
बीती बातों को भुलाकर के वो
आज फिर से जुबान देता है
तेरे बदले में किस तरह ले लूँ
वो तो सारा जहान देता है!
Comments
Post a Comment