Miss you sad shayri collection
1..आज भी उसकी आँखों में ही मेरा जिक्र मिलेगा...
आज़ भी उसके होंठों पे तो सिर्फ बेबसी मिलेगी...
2..बात करते तो सुलझ जाता मसला...
बढ़ानी थी दूरियां तो वो खामोश रहे...
3...जी चाहता है तोहफे में
मैं भेजू आँखे उन्हें,
दर्शन का दर्शन हो... और
नज़राने का नज़राना...
4..मैं और मेरा ये दिल जैसे ख़्वाहिशों की किताब सा है,
हर लफ्ज़ इसका तुझे *पाने की ख्वाहिश* में लिखा है...
5..साँस भी लूँ तो आती है महक उसकी...
.
.
उसने ठुकराया है मुझे इतनी करीब आने के बाद...
6..*ले आओ कहीं से मोह़ब्बत के हकीम को,*
*इस gRoup में तो सिर्फ इश्क़ के मरीज है ...*
7..इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,
आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं...
8...करने लगे सब दोस्त बातें अपनी अपनी मोहब्बत की,
हम चुपचाप घर आ गए नींद का बहाना करके...
9..हो सके तो चले आओ
मेरी तरफ़...
हमे मिले भी अरसा हो गया
और दिल भी उदास है...
10..रोक सकता था मै उसको,
मगर मैंने जाने दिया...
मर रहा था मुझमे कोई,
मैंने मर जाने दिया...
आज़ भी उसके होंठों पे तो सिर्फ बेबसी मिलेगी...
2..बात करते तो सुलझ जाता मसला...
बढ़ानी थी दूरियां तो वो खामोश रहे...
3...जी चाहता है तोहफे में
मैं भेजू आँखे उन्हें,
दर्शन का दर्शन हो... और
नज़राने का नज़राना...
4..मैं और मेरा ये दिल जैसे ख़्वाहिशों की किताब सा है,
हर लफ्ज़ इसका तुझे *पाने की ख्वाहिश* में लिखा है...
5..साँस भी लूँ तो आती है महक उसकी...
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उसने ठुकराया है मुझे इतनी करीब आने के बाद...
6..*ले आओ कहीं से मोह़ब्बत के हकीम को,*
*इस gRoup में तो सिर्फ इश्क़ के मरीज है ...*
7..इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,
आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं...
8...करने लगे सब दोस्त बातें अपनी अपनी मोहब्बत की,
हम चुपचाप घर आ गए नींद का बहाना करके...
9..हो सके तो चले आओ
मेरी तरफ़...
हमे मिले भी अरसा हो गया
और दिल भी उदास है...
10..रोक सकता था मै उसको,
मगर मैंने जाने दिया...
मर रहा था मुझमे कोई,
मैंने मर जाने दिया...
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