Shayari collection 2
1..._*तज़ुर्बा बता रहा हूँ दोस्त, दर्द, ग़म, डर जो भी है बस तेरे अंदर है !*_
_*खुद के बनाए पिंजरे से निकल के देख, तू भी एक सिकंदर है.....*_
2......दिवाने...
कोई मरहम नहीं चाहिये,,,,
जख्म मिटाने के लिये...💞,,,,,,,
तेरी एक झलक ही काफी है
मेरे ठीक हो जाने के लिये.💞......
3...*नजरों के झुक जाने को बेमतलब न समझना...*
*हया के दायरे में रह कर इकरार किया है हमने...
4...*"मन ख्वाहिशों में अटका रहा...*
*और*
*जिंदगी हमें जी कर चली गयी..."*
5..क्या हसीन इत्तफ़ाक़ था तेरी गली में आने का...
किसी काम से आये थे...
किसी काम के न रहे...!!
6...*इत्तफाकसे मिल जाते हो, जब तुम भी राह में कभी,*
*यूं लगता है,जैसे जिंदगी जा रही है करीब से...✍🏻*
7...*"लफ्ज़ों" का इस्तेमाल*
*हिफाज़त से करिये ,*
*ये "परवरिश" का*
*बेहतरीन सबूत होते हैं.. !!*
8...*कैसे अजीब लोग बसे है तेरी दुनिया में ऐ खुदा...*
*शौक ए दोस्ती भी रखते है और याद भी नहीं करते..*
9..छोङो ना यार,
क्या रखा है सुनने और सुनाने मेँ .
किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने मेँ...
‼‼‼‼‼‼‼‼‼
10....⏳ *समय गूंगा नही*
*बस मौन है,*
⏳ *समय आने पे बता देता है*
*किसका कौन हैं।*
🙏🏻
_*खुद के बनाए पिंजरे से निकल के देख, तू भी एक सिकंदर है.....*_
2......दिवाने...
कोई मरहम नहीं चाहिये,,,,
जख्म मिटाने के लिये...💞,,,,,,,
तेरी एक झलक ही काफी है
मेरे ठीक हो जाने के लिये.💞......
3...*नजरों के झुक जाने को बेमतलब न समझना...*
*हया के दायरे में रह कर इकरार किया है हमने...
4...*"मन ख्वाहिशों में अटका रहा...*
*और*
*जिंदगी हमें जी कर चली गयी..."*
5..क्या हसीन इत्तफ़ाक़ था तेरी गली में आने का...
किसी काम से आये थे...
किसी काम के न रहे...!!
6...*इत्तफाकसे मिल जाते हो, जब तुम भी राह में कभी,*
*यूं लगता है,जैसे जिंदगी जा रही है करीब से...✍🏻*
7...*"लफ्ज़ों" का इस्तेमाल*
*हिफाज़त से करिये ,*
*ये "परवरिश" का*
*बेहतरीन सबूत होते हैं.. !!*
8...*कैसे अजीब लोग बसे है तेरी दुनिया में ऐ खुदा...*
*शौक ए दोस्ती भी रखते है और याद भी नहीं करते..*
9..छोङो ना यार,
क्या रखा है सुनने और सुनाने मेँ .
किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने मेँ...
‼‼‼‼‼‼‼‼‼
10....⏳ *समय गूंगा नही*
*बस मौन है,*
⏳ *समय आने पे बता देता है*
*किसका कौन हैं।*
🙏🏻
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